मैं कह नहीं पाता हूॅ॑

main-kah-nhin-pata-haun-प्यार आंखों से होता है । हृदय से होता है । जिसे इजहार नहीं किया जाता है और जिसे इजहार कर दिया जाता है । वे प्यार बौद्धिक स्तर पर टिका है । जो कभी भी फायदे/नुकसान देखकर बदल जाता है । प्यार आंखों से पढ़ ले तो बेहतर है । ऐसे प्यार हृदय से जुड़े हुए होते हैं । न कि दिमाग से । जो बार बार प्यार की अभिव्यक्ति करता है । समझो उसकी नीयत में खोट है । 

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मैं कह नहीं पाता हूॅ॑
कुछ शब्दों को 
मेरी कुछ बातें 
अधुरी रह जाती है
ना जाने क्यों
मेरे शब्द
लड़खड़ाने लगते हैं
तेरे पास आकर
मेरी नजरें
झुक जाती है
कुछ भी समझ
नहीं पाता हूॅ॑
तुझे देख के
क्या पाता हूॅ॑
लेकिन ...
तेरे बिना
रह नहीं पाता हूॅ॑
क्योंकि...
तेरे जाने के बाद
तनहाई को
सह नहीं पाता हूॅ॑
खुद को
बहुत अकेला पाता हूॅ॑
इसलिए ..….
साथ रहो मेरे
जिसे मैं
कह नहीं पाता हूॅ॑
तेरे सामने !!!

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मैं कह नहीं पाता हूं
रह नहीं पाता हूं
मेरा हाल उसके समान है
जैसे मर नहीं पाता हूं
जी नहीं पाता हूं
मेरा प्यार
तुम्हारी दया कृपा पर निर्भर है
जिसे पाने के उम्मीद में
तेरे पास आ जाता हूॅं
कह नहीं पाता हूं
अगर इजहार कर दूं तो
बिखरने का डर है
अगर न करूं तो
न पाने का डर है
इसलिए तुम समझो
मेरे प्यार को
जिसे मैं कह नहीं पाता हूं !!!

---राजकपूर राजपूत

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