मेरा प्रेम मेरे ही अंदर था

मेरा प्रेम मेरे ही अंदर था
कुछ अंधेरे में दबा हुआ सा
जिसका अवलंबन नहीं था 

बस ढूंढ रहे थे तुमको
बेसहारा हो कर तुमको

पूरी जिंदगी की तलाश में
हर पल तरस रहे थे तुमको

तेरा सहारा मिल गया तो
लगा जैसे जिंदगी मिल गई

बरसों की तलाश के बाद
बादल की एक बूंद मिल गई

अब तक जीने के कोई मायने न था
तुझे पाकर नई परिभाषा मिल गई
---राजकपूर राजपूत 
मेरा प्रेम मेरे ही अंदर था

Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ