चला गया बचपन
childhood life ghazal
चला गया बचपन मुझे जवानी देकर
वो मासूम की दुनिया, उलझन देकर
वो ममता की छाॅ॑व, माॅ॑ की दुलार
जिसके सामने रोए थे पांव फटक कर
याद आते हैं वो मेरे बचपन के साथी
आजकल क्यों चलते हैं हाथ झटक कर
कहां गए पीपल के पेड़ मिट्टी के घरौंदे
ये सुनी-सुनी जिंदगी मोबाइल देकर
भीड़ में चलता हूॅं सुना-सुना लगता है
कौन सी मोड़ पे छोड़ गया तन्हाई देकर
---राजकपूर राजपूत''राज''
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