मेरे हृदय में

मेरा प्रेम पुष्पित होने को अधीर है
मेरे नयन तुझे देखने को तरस रहा है
तुम हृदय में अब आ भी जाओ
मेरे हृदय की सारी पीड़ा वहीं मिलेंगे

---राजकपूर राजपूत''राज''

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