खड़े हो जाने से
आदमी खुद
बंजर हो जाते हैं
अंकुरित नहीं हो पाते
नये बीज
नये पत्ते
निकल नहीं पाते
पत्थरों के बीच से
आदमी जब
हर चीज़ को
तर्क की कसौटी में
जब कसते हैं
तो हृदय सुख जाते हैं
कई सवालों का
जवाब नहीं पाते हैं
तलाशने पर
और खुद ही
दुविधा में
आ जाते हैं
सवालों के घेरे में
खुद फस जाते हैं
---राजकपूर राजपूत''राज''
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