आओ ! होली मिलन के बहाने हैं
इस जहां में सबको गले लगाने हैं
दूरियाॅ॑ ना रखो दिलों के दरमियान
हर चेहरे पे इश्क़ का रंग लगाने हैं
होली के रंग से मिटाओ सभी बुराइयाॅ॑
बस नफ़रत दिलों से जलाने हैं
विश्वास अडिग है भक्त प्रहलाद का
जल गई होलिका अब प्रेम फैलाने हैं
---राजकपूर राजपूत''राज''
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