जो कल तक Jo kal tak Kavita Hindi

Jo kal tak Kavita Hindi 
जो कल तक
सच्चाई की बातें करते थे
आज उसकी कुटिल नीति
सामने आ गई
सिर्फ दूसरो को
सीख देना
खुद के गिरेबान में
नहीं झांकना
दूसरो के लकीर काट कर
खुद को बड़ा मानना
जैसे महान विचारक हो
विद्वान और नायक हो
समाज का
जो अब तक थे

खुद की बारी आई तो
मुंह में ताला पड़ गए
न्याय की परिभाषाएं बदल दी
अपनी सुविधा में
बातें बदल दी
फिर भी सावधान रहो
अभी कमियां ढूंढ रहे हैं
कमबख्त खुद में नहीं
हमारे...
मौके ढूंढ रहे हैं
वो नालायक
हमें नीचा गिराने के लिए
जिसकी ज़मीर मर गई है
इंसानियत की,,न्याय का !!!


उसकी कमियों को छुपाता रहा
और प्यार जताता रहा
उम्मीद थी प्रेम को समझेंगी
ऐसे ही दिल बहलाता रहा
वो न समझी तो कोई ग़म नहीं
मगर मैं चाहता रहा !!!

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---राजकपूर राजपूत''राज''


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