आओ मिल जाए इस तरह

चलों ! चुप हो जाते हैं
आसमान की तरह
मिल जाते हैं
क्षितिज की तरह

कदम -कदम पर साथ चलों ! तुम
फूलों में खुशबू की तरह

पल-पल गुजरता हैं मुश्किल से
आओ ! मिल जाऐ सांसों की तरह

न बनायें शब्दों की जाल
न रचे दुनििया की माया
केवल मौन की भाषा
न बचे अभिलाषा

मैं और तुम

दुनिया ढूंढे ना किसी तरह
आओ ! मिल जाऐ इस तरह

---राजकपूर राजपूत''राज''


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ