खुद को तेरे पास पाता हूॅ॑
तेरे बिना इस दुनिया में
खुद को उदास पाता हूॅ॑
ना देखूॅ॑ तुझे तो बेचैनी है
देख के सुरक्षित घेरा पाता हूॅ॑
तेरे सिवा कौन है अब मेरा
हर तलाश में तुझे पाता हूॅ॑
कई ग़म है बेदर्द ज़माने में
सिर्फ तेरे चेहरे पे सुकूॅ॑ पाता हूॅ॑
तरसा हूॅ॑ तेरे लिए मैं जिंदगी
साथ हो तुम तो जिंदगी पाता हूॅ॑
---राजकपूर राजपूत''राज''
0 टिप्पणियाँ