आओ मेरे करीब मेरी बाहों में

दिल नहीं लगता यूॅ॑ मुस्कूराने में
आओ मेरे करीब मेरी बाहों में

तड़प-तड़प के रोई रात भर
छूट गया तेरा हाथ ,मेरे सपनों में
दिल नहीं लगता.......

होली के रंग-बेरंग हुए है
दुश्मन भी आ के गले लगा गए
क्या रखा है छत से हाथ हिलाने में
दिल नहीं लगता........

यूॅ॑ ही नहीं निकले है,घर से
दिल रोया है,दीदार करेेंगे दिलबर से
क्या रखा है तेरे नयनों के इशारें में


दिल नहीं लगता यूॅ॑ मुस्कूराने में
आओ मेरे करीब मेरी बाहों में

-----राजकपूर राजपूत "


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