अपनी खामोशी को खुद ही अपनाया था Poem on Silence Hindi

Poem on Silence Hindi 
अपनी ख़ामोशी को खुद ही अपनाया था
दिल की बातें जो कभी कह नहीं पाया था

मेरी खामोशियों को उदासी ना समझ लेना
मैंने तो जमाने को ठुकरा के इसे पाया था

यूॅ॑ तो मुस्करा देते हैं मुझे देख के हर कोई
नादान है जो कभी इश्क कर नहीं पाया था

मोहब्बत कभी शोर नहीं करती है दोस्तों
ऑ॑खों को जिसने पढ़ा वही समझ पाया था

बेशक हर लम्हा मैं खोया खोया रहता हूॅ॑
उसकी यादों को सजा के ही सुकून पाया था !!!

Poem on Silence Hindi

अपनी खामोशी को
समझाया था
तुम्हें चुप रहना है
अगर कुछ बोले तो
दिल टूटना है
सच सुन नहीं सकता है जमाना
चुपचाप सहना है
कायर नहीं है तू
डरपोक है जमाना
कुछ कह कर नहीं मिला है यहां
झूठी तारीफ और खुश रहना 
इसलिए चुप रहना !!!
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-----राजकपूर राजपूत



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