ये आजकल लव मैरिज का बढ़ावा है

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आजकल के रिश्ते स्वयं के पसंद/, नापसंद निर्भर करते हैं । जितना व्यक्तिगत रिश्तों में स्वयं के दिमाग में शामिल करते हैं । उतना दूसरों को महत्व नहीं देते हैं । समाज या व्यक्ति उसी मापदण्डों को अपनाते हैं । जो वर्तमान में चलन में है । चलन को अपनाने वाले लकीर का फकीर होते हैं । जिसके मायने वो खुद ही नहीं जानते हैं । आजकल के रिश्ते पर कविता हिन्दी में 👇👇 



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ये आजकल लव मैरिज का बढ़ावा है
रिश्तों में पश्चिमी संस्कृति का चढ़ावा है

इश्क बदनाम हो गया है आज के इस दौर में
खड़े-खडे़ बिक रहे हैं ये दुनियां के बाजार में

जाके झांक लो तुम उन रिश्तों के पैंशन को
हर रिश्ते हैं मुश्किल में तैयार खड़े हैं टूटने को

जागरूक हुए इस तरह से उच्छृंखलता आ गई
अपने सुख के खातिर माॅ॑-बाप की पीर छूट गई

इश्क का चलन बढ़ गया है ढूंढ़ो लैला मजनू को
दिमाग़ से सब काम हो रहा परखो सभी के दिल को

कुछ ताज्जुब नहीं है दुनिया के रंग मंच पे
दिखावा हैं इश्क का जहां प्रेम नहीं मिलता है सच में 

-----राजकपूर राजपूत



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