सच्चाई

अब तलक कहीं सच्चाई उजागर नहीं हुई 
हकीकत का दम घोट के झूठ मुस्कुरा रहे हैं

इंसानियत मर गई है कुछ लोगों के सीने में
उजड़े हुए दयार है और पत्थर मुस्कुरा रहे हैं

-----राजकपूर राजपूत "राज"

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