तेरे सिवा दिल में कोई हो नहीं सकता

तेरे सिवा दिल में कोई हो नहीं सकता
इश्क में हॅ॑स नहीं सकता रो नहीं सकता

इश्क तो फकीरी की फरियाद है दोस्तों
दर्द के सिवा कोई दूसरा दें नहीं सकता

वो धन-दौलत को लूटते रहे जिंदगी भर
मगर आख़री सफ़र में ले जा नहीं सकता

पानी मिला के पीते रहे वो जिंदगी अपनी
इश्क से ज्यादा नशा कभी हो नहीं सकता

-----राजकपूर राजपूत "राज"


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