जब तुम्हारी नज़रों से मेरी नज़रें मिले थे
दिल के दरिया में कोई फूल खिले थे
उस वक्त लगा कि तुम मेरी मंजिल हो
नज़रों से बातें हुई और होंठ सिले थे
हां,उस पल महसूस हुआ था मुझे
मेरे धड़कनों में तेरे दर्द के गीत हिले थे
अजीब दर्द था तुझे पा लेने का दिल में
ज़माने भर की खुशीयां तेरे चेहरे से मिले थे
हम दोनों की हालात एक जैसी थी यारों
उसकी भी चूड़ियां झूकी नज़रों से हिले थे
____राजकपूर राजपूत '"राज "
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