आज के समय में जहाॅ॑ आदमी स्वयं के हितों, विचारों को ही अहमियत देते हैं। Some Assumptions Articles भले ही किसी बात को पूरी तरह से समझें या ना समझे।तर्क करके सवाल जरूर पैदा कर देते हैं।
गांवों में ऐसी चर्चा चौपाल में या फिर पान ठेले के पास आजकल आम हो गए हैं।बस कुछ लोग अपनी विद्वत्ता हांकने में ज़रा भी चूक नहीं करते हैं।
Some Assumptions Articles
वह कुछ पढ़ा लिखा आदमी था।देश- दुनिया की ख़बर रखते थे। लोगों के बीच बहुत सम्मान था उसका।उस दिन भी उसने कुछ मान्यताओं पर सवाल उठाए। "कुछ परम्पराओं में पशुओं और पक्षियों को भोजन देते हैं। ये कौवा को भोजन देना किस काम का मेरा तो कुछ समझ नहीं आता।क्या आपके पूर्वजों की मृत आत्मा तृप्त हो जाएंगे..?" वह मुस्कुराते हुए कहा।
सभी लोग सोच में डूब गए।किस लिए भोजन देते हैं..?
लेकिन एक आदमी गम्भीर मुद्रा में बैठा सोच रहा था। उसने कहा-
"कह रहे हो बात सच है। कुछ परम्पराओं में बिना तर्क के होते हैं। लेकिन कुछ परम्पराओं में गहरा संदेश छूपे होते हैं।पक्षियों को भोजन देने के पीछे यही कारण रहा होगा कि कुछ वृक्षों के बीजों का पर्टिलाईजेशन सिर्फ उन्हीं के बीट से ही हो सकता है।इसलिए कौवों को भोजन देते थे शायद।पीपल,बरगद आदि वृक्षों के लिए ।भोजन खिलाने की परम्परा शुरू करने वालों को इस बात का पता था।समय के साथ हम भूल गए। और केवल परंपरा को जीवित रखे हैं। जानते नहीं। सिर्फ़ मानते हैं। इन वृक्षों के महत्व कितना है। सभी जानते हैं।"
वैज्ञानिक युग
"इस वैज्ञानिक युग मेंं कुछ ना कुछ नए तरीके आ जाएंगे"पहले व्यक्ति ने कहा
"बदलाव करने के बारे में सोचते हैं तो इस बात पर भी ध्यान रखें।केवल सवाल उठाने से नहीं होता है।जब तक बेहतर आइडिया हमारे पास ना हो। कौवों के प्रजाति पूष्ट होंगे तो ये विशाल वृक्ष भी रहेंगे। कौवा और ये वृक्ष एक-दूसरें पर निर्भर है। परम्पराओं को हटा कर कुछ चिड़ियों के लिए हमें प्रतिदिन भोजन अपने घरों के आसपास रखना चाहिए।"
"इस बात का कैसे मानें कि कौवों के ही बीट से उपचारित होता है।"पहले व्यक्ति ने कहा।
"घरों के आसपास, पेड़ों के ऊपर पीपल और बरगद उग आते हैं..।हम लाख कोशिश कर ले।इन वृक्षों के बीजों से पौधा तैयार नहीं कर सकते हैं। ये सब कुछ पक्षियों के पास ही है।"
और पहला आदमी कुछ देर के लिए चुप हो गया।
उन दोनों के बीच मेंं बहस चलता रहा। कुछ देर चलने के बाद शांत हो गए। और इघर उधर की बातें शुरू हो गई।देश- दुनिया की। गांव के पानठेलो के पास ये आम बात है।
___राजकपूर राजपूत'राज'
इन्हें भी पढ़ें 👉 आइडिया लेख
0 टिप्पणियाँ