Jivan ka Vistar Kavita जीवन का विस्तार हमारे देखने का नजरिया है । जहां तक दृष्टि जाती हैं , वहां तक संसार है । कुछ लोग बंध जाते हैं । किसी एक चीज़ में, कुछ लोग विस्तार देते हैं । अपने जीवन को । खुशियां हर जगहों से समेट लेता है ।
Jivan ka Vistar Kavita
कितना फैला है जीवन का विस्तार
ये धरती-अम्बर या क्षितिज के उस पार
जिसकी बड़ी चाहत वो घुमे दर-बदर
खुश वही है जिसकी बाहों में संसार
गोपियां ढुंढे श्याम जी मिले कही ना आराम
मीरा नाचें अपनी धुन में ऐसा उसका प्यार
ले के धुप की आंच को जला दिए शरीर
अंतर्मन देख रहा मधुर सपनों का संसार
जिसके अंदर प्रेम है आंखें सबको बताएंगी
पढ़ लो हर पुस्तक जहां तेरा मेरा प्यार !!!
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__राजकपूर राजपूत 'राज'
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