कहां किसी पे अब कोई जान देते हैं

meaning and wisdom ghazal  कहां किसी पर आजकल कोई एतबार करता है । जिसे देखो मतलब निकालने के लिए तैयार हैं । मतलब निकालने के लिए सब समझदार हो गए हैं । लेकिन रिश्ता चलाने के लिए उदासीन । इसलिए डर-डर कर चलते हैं । सचेत ऐसे रहते हैं । सबपर संदेह कर जाते हैं । जिसके कारण आज समाज में अविश्वास, निराशा, थकान दिखाई देती है । जिसे कोई भर नहीं पा रहे हैं । क्योंकि वो जानते हैं - नज़र हटी और दुर्घटना घटी ।   कविता हिन्दी में -👇👇👇

meaning and wisdom ghazal 


कहां किसी पे अब कोई जान देते हैं
सांप देखें नहीं और लाठी पटक देते हैं

रिश्तों को चलाने के लिए जज़्बात चाहिए
हक़ की लड़ाई में आर्डर पटक देते हैं

यकीन मानिए वो मेरे अज़ीज़ दोस्त था
पेट भर खा के बिल पटक देते हैं

ख़ुदा ने नवाजा है दिल और दिमाग किसलिए
ज्यादा भरोसा करों तो नेता झटक देते हैं

कुछ तो मेरी भी मजबूरी रही होगी यारों
एक दिन बातें न हुई फोन पटक देते हैं

उसे लगता है कि वो समझदार है
यही सोच आदमी को पटक देते हैं 

संभलकर रखो कदम अपना
ऊंची नीची रास्तों पे पैर लचक जाते हैं 

जिंद की दुनिया में कौन सुनता है राज
ऐसे- वैसे को तो हम भी पटक देते हैं !!!

मेरी लड़ाई उन लोगों से है
जो समझाते हैं सबको
बिना संस्कार के
तथाकथित बुद्धिजीवी बनकर
वैज्ञानिक बनकर
तर्क की दृष्टि से
जो खुद जीते नहीं
बेहतर
किसी स्थापित जीवन को
अपनी सहुलियत से
तोड़ते और मरोड़ते हैं 
कितने दोगले हैं
उनसे है !!!

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__राजकपूर राजपूत "राज"


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