नेतृत्व और प्रेम कविता Leadership and Love Poem Hindi

Leadership and Love Poem Hindi  नेतृत्व का अपना महत्व है । ये जितना बेहतर होगा । जटिलताएं सरल होगी । चाहे जीवन का नेतृत्व हो या फिर देश का । भाव का हो या बुद्धि का । गांव का हो या शहर का । घर का हो या समाज का । व्यक्ति यदि खुद को नियंत्रित करने में सक्षम हो जाते हैं । वो जीवन को सरल बना लेते हैं । 

नेतृत्व का अर्थ है - मार्गदर्शन करना ,  मार्ग प्रशस्त करना । जिसे हर कोई नहीं कर सकता है । जिसमें क्षमता होती है । उसे नेतृत्व करने का अवसर मिल ही जाता है । पढ़िए इस पर कविता 👇👇

Leadership and Love Poem Hindi

नफरती लोगों द्वारा 

नेतृत्व करना 

आजकल के समाजों में देखा गया है 

बड़ी चालाकी से 

व्यक्तिगत स्वाद को 

सबसे श्रेष्ठ साबित कर रहे हैं 

कोई खुदा का 

कोई पैसे का 

प्रदर्शन भी तुलनात्मक 

तुमसे बेहतर 

तुम निष्कृष्ट हो 

उससे 

जिसे साबित किया है 

अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर 

गला एक झटके से काट रहे हैं 

तड़पा कर खाते हैं 

और मुस्कुराते हैं 

उसकी उग्रता को 

स्वीकार करो 

नहीं तो हांसिए में धकेल दिया जाएगा

या फिर दूर रहो 

उससे !!!


निरंतर दुःख बना है 

भावनाएं 

गलत आदमी पे फ़ना है 

जो जानता है 

मिलेगी नहीं उम्मीद 

फिर भी ये दिल उसपे मरा है 

ये दुःख खत्म न होगा 

जो स्वयं का ऐसा नेतृत्व किया है !!!!


तुम रूकना 

मैं किसी पर्वत की चोटी पर जा रहा हूं 

सूरज निकलेगा धधकते हुए 

मैं रोक लूंगा 

अपनी बाहों से 

तुम उस वक्त सफ़र करना 

मंजिल के मिल जाने तक 

भले ही मैं राख हो जाऊं 

सूरज के गर्मी से !!!!!


तुम भूलना मत 

प्रेम का नेतृत्व नहीं है 

लूट लिए जाते हैं 

प्रेम को 

नफरती और मतलबी लोगों द्वारा 

और छोड़ दी जाती है 

पीड़ाएं, अनगिनत 

प्रेमी के लिए 

जिसमें जीने लगते हैं 

दर्द में सुकून समझकर 

पागल है 

प्यार !!!!

अभी उसकी आंखों में 

शर्म हया नहीं है 

वो जो कर रहे हैं 

श्रेष्ठ है 

मुझसे 

उसका विरोध नहीं हुआ है 

जिस स्तर पर होना था 

इसलिए 

बेशर्मी से नेतृत्व करना उसे आता है !!!!


तुम देखने लगे 

भीड़ को 

कपड़े भी पहने 

पैसे भी कमाएं 

उसी शैली में 

जैसे भीड़  कमाती हैं 

चालाकियों से 

 तुम चालाकियों को 

समझदारी मानते हुए

इस तरह जीते हो दुनिया में 

तुम्हारे सुख-दुख का नेतृत्व 

भीड़ कर रहा है  !!!!


तुम प्रेम करते हो तो 

छोड़ दो भीड़ 

प्रेमिका आते हैं 

अकेले में 

तुम्हारी स्मृति में 

तुम्हें महसूसने के लिए 

भीड़ अवसर नहीं देता है !!!!!


चोर उचक्के जब शरीफों की बात करें 

हर चीज में बार-बार आघात करें 

कौन जाने किस मोड़ पर 

किस लिए क्या-क्या बात करें 

हर कोई मतलबी दुनिया में शामिल है 

फिर शराफ़त की क्यों बात करें 

प्रेम हारा है बूरी तरह नफरतों से 

फिर भाईचारे की कौन बात करें 

जब सच जानते हो अपनों का 

दूसरों का क्यों बात करें !!!!!


अभी किसी को अपना मत मान 

बिन मतलब के साथ रहे तब अपना जान 

मतलब निकल जाने पर हल्का हो जाते हैं 

स्वार्थी लोग है न मान न सम्मान !!!!!


अभी तक रो रहे हो 

शायद ! कुछ खो रहे हो 

आंखों से आंसू गिर गया 

कोई अपना मर गया 

मेरे निर्णय में कठोरता है 

उसकी असलियत के बाद कट्टरता है 

भीड़ का नजरिया झेल रहे हो 

अभी तक रो रहे हो 

साथ दिया मगर उम्मीद पूरी न हुई 

बात ही बात है मोहब्बत न हुई 

न वादा किया फिर भी निभाया 

मेरा प्यार देख वो घबराया 

रिश्ते तोड़ के मुस्कुरा रहे हो 

अभी तक रो रहे हो  !!!


तुम्हें नेतृत्व ही करना था 

मुझे तेरे साथ चलना था 

मेरा समर्पण समझ न पाया 

इसलिए तेरा प्यार न पाया 

मुझे तेरे साथ हंसना रोना था 

तुम्हें नेतृत्व करना था 

रूठकर भी मैं मान जाता 

तेरी आंखें देख समझ जाता 

पलटकर देखा होता तुम अगर 

मेरे पांव वहीं पर रूक जाता 

सफ़र पे तेरे साथ चलना था 

तुम्हें नेतृत्व करना था !!!!


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