हस्ताक्षर - प्रेम कविता Signature Love Poem

Signature Love Poem

 हस्ताक्षर

सुख-दुख का

व्यक्ति स्वयं किए हैं

एक चुनाव

जिसमें जीना

अत्यधिक भावुकता से

जीया है

शिकायत दुनिया की 

उसने की

मैं कहता हूं

तुमने उम्मीद क्यों की !!!

Signature Love Poem

अत्यधिक भावुकता

दूसरों से उम्मीद करता है

उनका दुखी होना

स्वाभाविक है 

इसलिए दुखी है

जो समर्थन करता है

उसे अपना मानता है !!!!

दुःख में जीना

प्यार की उम्मीद

शेष है

तुम आओगे

यही उम्मीद है !!!


किसी की शिकायत

किसी की नाराज़गी

प्यार है

किसी की शिकायत

किसी की नाराज़गी

घृणा है

बस महसूस होना चाहिए

कौन अपना कौन पराया है !!!!


दुःखों को समेटे रहना

दुःखों में जीते रहना

न निकलने की कोशिश करना है

भावनाएं मुड़ जाती है

उस ओर जहां चाहत होती है !!!


आदमी को इतना उठना चाहिए

तोड़े मगर नहीं टूटना चाहिए

हो जाओ अकेले बेशक मगर

उठ-उठ कर लडना चाहिए

गिराएगा कई लोग मगर

नहीं गिरना चाहिए !!!!


जिस दिन जागे उस दिन सवेरा

दुनिया छूटी उस दिन सब कुछ तेरा !!!!


क्रोध और आवेश में

दिया गया प्रमाण

उसके सच होने का पक्का सबूत है

जिसे उसने बखूबी उतारा है

अपने जीवन में

जिसे हिलाने की कोशिश किया

किसी ने

मार काट कर सकते हैं  !!!!


हस्ताक्षर

उसके संकल्प

कठोरता से

जीने के लिए

स्थिर

वर्गीकरण करने का

प्रयास न कर

विशेषण से विशेष्य

हो जाएगा !!!!


संकल्प

मन ही मन

चाहत की किसी कोने से

उठती है

जिसे पाने के लिए

अवचेतन मन

प्रयास करता है

नित नए प्रयोग

विचार लें आते हैं

और हम बन जाते हैं

ठीक वैसे

जैसे 

संकल्प हमारा !!!!!

जलना तो पड़ेगा

क्योंकि मैंने किया है

हस्ताक्षर

कोरे कागज पर

जिसपर उसने लिख दिया

तुम मेरे हो

और प्रेम में

गुलामी होती है

आजादी नहीं !!!!


अपने हाथों पे

हस्ताक्षर स्वरूप

स्वयं के प्रेम को

सबको सामने स्वीकार किया

उसके नाम से

गोदना गुदवा लिया !!!!


हस्ताक्षर

प्रेम में

सहज ही प्राप्त किया जाता है

अपना समर्पण और अबाध विश्वास

सबकुछ सौंप कर

तुम्हारी अनुगामी

मरने तक

लिखित जवाब में

तेरे नाम का हस्ताक्षर !!!!


स्वयं को समर्पित कर

निर्बल नहीं हुआ में

निश्चित हुआ

मेरा प्रेम

सुरक्षित सफ़र होगा

मेरे प्रेम के संग !!!!


हस्ताक्षर जैसे

मृत्यु

निश्चित

अनिश्चित है तो

जीवन

जिसे गुजारना है

प्रेम के संग !!!!

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