लोग सच्चाई से क्यों मुकरते हैं-
सच्चाई से मुकरना गलत है लेकिन ज्यादातर व्यक्तिवादी के जीवन शैली में इसके फायदे हैं ।truth-on-article-literature-life जिसे अवसरवादी लाभ उठाते हैं । क्योंकि जहां सुविधा, वहां दुविधा है । ज्यादा व्यक्तिवादी होना मतलब सुविधावादी होना है । जिसे सामाजिक जीवन से कोई मतलब नहीं होता है । न्याय खुद के प्रति करते हैं न कि समाज के प्रति । उनका दावा है कि इंसान भोग के लिए बना है । न कि किसी नियम के लिए । इसलिए मुकर जाते हैं ।
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सच्चाई - झूठ तार्किक तर्क और समाज में बेहतर स्थान-
जब कोई नफरती तथा स्वार्थी बातों को तार्किक ढंग से रख देते हैं । तो लोग उसे बुद्धिजीवी मानने लगते हैं । जबकि उसके तर्क और आलोचना उसके स्वार्थ भरी सोच की उपज है । फिर भी समाज में बेहतर स्थान दिला देता है ।
सच्चाई से दूर, धीरे- धीरे हम सभी व्यक्तिगत जीवन के आदि हो रहे हैं
ऐसी सफलता हमारे सोच के परिवर्तन से है । जो धीरे-धीरे सभी को व्यक्तिवादी जीवन में जीने के लिए मजबूर कर रहे हैं । ऐसे लोगों के तर्को को हम सामाजिक नजरिए से न देखकर व्यक्तिगत होकर देखने लगते हैं । जिसके कारण सामाजिक समूहों द्वारा विरोध नहीं किया जाता है । जब तक सभी के व्यक्तिगत जीवन को समस्या पैदा न कर दें । तब तक बहुत बड़ा वर्ग द्वारा देखते रहते हैं । व्यक्तिगत नैतिक जिम्मेदारी कोई अकेला ले सकता है लेकिन सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए लोगों को तैयार करना बहुत कठिन है । ये तभी होगा जब सबको अहसास होता है कि हमारा भी हितों को नुक़सान है !
अधिकांश विचारधाराएं
सियासी है
जिसे मजहबी लोगों द्वारा
प्रेषित किया गया है
जिसमें विचार कर फंस जाते हैं !!!!
आलोचनात्मक दृष्टिकोण
यदि खिल्ली उड़ाते हैं
उससे दूर हो जाना
नफरती बहुत है
ऐसे लोग !!!!
जिसने जी कर आदर्श प्रस्तुत नहीं किया
लेकिन दूसरों की आलोचना की
समझों अंधे तर्कशील है !!!!
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-rajkapur rajput
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