मन पर नियंत्रण, मुश्किल कार्य है-
मन पर नियंत्रण को बहुत अहम माना गया है mind-intellect-and-soul-article-literature-life-जीवन में क्योंकि हमारा मन एक चलचित्र की भांति अनियंत्रित होकर चलता रहता है । जो कहीं भी जा सकता है । भटक सकता है । जब तक हम उसे नियंत्रित नहीं कर पाते हैं ।
mind-intellect-and-soul-article-literature-life-
बुद्धि द्वारा मन का नियंत्रण-
एक बच्चा जब अबोध होता है तो उसका मन हर उस चीज को छूने, पकड़ने का मन करता है । जो उसे दिखाई देता है । मगर जैसे जैसे उसे वस्तुओं के स्वरूप, प्रकृति की समझ बढ़ती है तो उसकी बुद्धि मन को नियंत्रित करने लगती है । बुद्धि की जितनी समझ होगी । मन पर उतना ही नियंत्रण होगा । बच्चा जितना परखता है । उतना ही मन को समझाने में सफल होता है । मन को कोई बाहरी व्यक्ति समझा नहीं सकता है ।इसे नियंत्रण करने के लिए हमारी बौद्धिक क्षमताओं का होना आवश्यक है ।
आत्मा , द्वारा मन और बुद्धि का नियंत्रण-
ठीक इसके विपरित हमारा मन बुद्धि को नियंत्रित करने का काम करता है । जहां भी जाता है विचार बनाता है । कई भावनाओं की उत्पत्ति करता है । जिसे हमारी बुद्धि स्वादानुसार ग्रहण करती है । स्वाद का स्वरूप दिखाकर मन बुद्धि को भ्रमित कर सोचने के लिए मजबूर करता है । और जहां सोचने के लिए मजबूर हो गए । वहां मन का जीत होना तय है । वहां बुद्धि किसी चीजों को स्वीकार कर लेती है । उसके बाद मन बार बार हमें उसी क्रिया के भावों में स्वाद लेने लगता है ।जिस चीज़ का स्मरण मन बार बार करता है । उसी से लगाव हो जाता है । जब लगाव हो जाता है तो उसकी प्राप्ति की ओर प्रयास मन और बुद्धि दोनों करने लगते हैं । फिर उसके बाद सिवाय प्राप्ति के कुछ भी सोचा नहीं जाता है ।
इन दोनों के सिवाय हमारे भीतर में एक और तत्व है, चेतन या कहें आत्मा । जो हमारे मन और बुद्धि को नियंत्रित करने का प्रयास करता है । जहां हमारा मन और बुद्धि भ्रमित हो जाती है । वहीं हमारे भीतर स्थित चेतन तत्व हमें अहसास कराने की कोशिश करते हैं कि क्या सही है? क्या गलत है? लेकिन तटस्थ अवस्था में । निर्णय करने का काम हमारे मन और बुद्धि का है । बुद्धि और मन की बातें स्पष्ट सुनाई देती है लेकिन आत्मा की नहीं । अदृश्य अहसास को उभार कर सामने लाते हैं । जो जितने भी सुक्ष्म रूप में निर्णय करता है । उसकी आत्मा, मन, और बुद्धि में एकरुपता होती है । निर्णय सटीक बैठता है । लेकिन जो अपने मन और बुद्धि से चलते हैं उसे कई जगहों पर असहज महसूस होगा । बुद्धि अपने स्वाद में और मन भटकाव में ।
0 टिप्पणियाँ