आदमी की पहचान Aadmi-ki-pahchan-lekh

  Aadmi-ki-pahchan-lekh-  एक व्यक्ति खुद को दूसरों से अलग करने के लिए खुद को प्रेरित करता है-


एक व्यक्ति खुद को दूसरों से अलग करने के लिए स्वयं को प्रेरित करता है । ताकि दूसरों से अलग पहचान की प्राप्ति कर सके । ऐसा करने का कारण उसका स्वाभिमान, उसका अहम , खुद्दारी है ।उन युक्तियों की तलाश करता है । जिससे उसकी पहचान में बड़प्पन की बढ़ोत्तरी होती है ।  जिसमें उसका अहसास शामिल हैं । जो कभी भी दूसरों के अहसास को स्वीकार नहीं कर सकते हैं । जिंदगी उसकी तो दृष्टि भी उसकी है । जिसकी क्षति से आदमी टूट जाता है । इसे बनाएं रखने के लिए बहुत सारे विचारों को अपने मन मस्तिष्क में सहेजता है । 

Aadmi-ki-pahchan-lekh आदमी खुद को सही साबित करने में गिर जाते हैं-


हां ये अलग बात है कि दूसरों को प्रभावित करने के चक्कर में स्वयं गिर जाते हैं । अपनी झूठी बातों को सही साबित करते हैं । नैसर्गिकता भूल जाते हैं । जिससे बातों में बनावटीपन दिखाई देने लगती है और आदमी अपनी पहचान उस झूठ के अनुसार बना लेता है । 
अपनी बातों में खुद को श्रेष्ठ साबित करने की कोशिश होती है । किसी के सामने बातों में केवल हां, हूं मैं जवाब न हो कर सामने वाले जैसा बुद्धिमत्ता जैसी बातें करते हैं । ताकि लोग उसे भी समझदार की श्रेणी में माने । 

खैर ये सब तरीके अपनी- अपनी पहचान बनाने के हैं । वक्त आने पर बदल जाना । समय बदलते हुए देखा है तो इंसान भी बदलते हुए देखे हैं । 

इंसान आजकल

रंग नहीं बदलते हैं

इरादे बदलते हैं

चोला नहीं बदलते हैं

मन बदलते हैं

बुद्धिजीवी बन गए हैं

भावनाएं बदल देते हैं

सियासत बुरी चीज़ है

मगर बुद्धि से

ओढ़ लेते हैं !!!

अभी और बदल जाते

लेकिन दुनिया समझ जाते

समय-समय पर

सब बदलने को तैयार बैठे हैं !!!

-राजकपूर राजपूत
Aadmi-ki-pahchan-lekh


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ