appeasement-of-politics-poetry-literature-life-in
बच्चा जब गिर जाता है
उसके रोने से मां -बाप डर जाता है
समझाते हैं मगर समझ नहीं पाता है
बच्चा और रो-रो जाता है
मां-बाप की फ्रिक बड़ी
इसे कैसे समझाया जाता है
मां- बाप ने एक तरकीब निकाली
बाप एक डंडा ले आता है
दें मारता है बार-बार ज़मीं को
उसके बच्चे को क्यों गिराया जाता है
बच्चा खुश हो जाता है
मां - बाप का तरीका काम आ जाता है
धरती को मारने ठोकने से
बच्चा खुश हो जाता है
अब जब भी बच्चा रोता है
मां- बाप किसी और को चपट दे जाता है
तुष्टिकरण की ऐसी मिसाल है
बच्चा खुश हो जाता है
मुर्ख बच्चे को कभी बताते नहीं
तेरी चाल से ही गिर जाता है !!!!!
appeasement-of-politics-poetry-literature-life-in
राजनीति एक बंटवारा है
जहां सच कई बार हारा है
उसके तर्कों में सुविधा की बू
सच बहस करके हारा है
न फैसला हुआ लेकिन चर्चा खुब हुई
सच बौद्धिक दोगलापन से हारा !!!
राजनीति न कर
रिश्तों के बीच में
मतलब ही निकालना है
जा जमाने के बीच में
राजनीति की जोड़ तोड़ तुम्हें पता है
तुझसे डरते हैं अपनों के बीच में
जीने में तेरा ईमान नहीं
व्यापार के इस बाजार में !!!
तुष्टिकरण की राजनीति
स्वयं को कमजोर कर देता है
बड़े नेता उन मुर्खों के सामने झुक जाता है
जिसने उसे वोट दिया है
एक डर मुर्खों के झुंड से
भेड़ों की चाल से
नेता तुष्टिकरण करने के लिए
सहलाते हैं
उसके पेनिस !!!!
झूठ परोस कर
जो शर्मिंदा नहीं होते
पक्का सियासी लोग हैं !!!
तुम जब भी फैसला करना
साफ-साफ करना
घुमा-फिरा कर
दोगलापन मत दिखाना !!!!
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