जब तुम नहीं थे poetry-love-in-hindi

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 जब तुम नहीं थे , तो 

मैं उलझ जाता था 

इस दुनिया से

व्यर्थ ही 

उसकी बातों पे 

खो जाता था 

उसके बताए 

रास्ते पे 

जहाँ मुझे  

केवल भटकना था  

किसी अबोध बालक की तरह 

जो सबको 

इसी उम्मीद से 

ताकता था

मुझे संभाल लेंगे 

जब मैं फिसल जाऊँ 

अपनी राहों से तो 

लेकिन नहीं 

मुझे और हतोत्साहित किया 

अपनी बातों से 

तोड़ना चाहा 

इरादों से 

और मैं टूट ही गया था 

जमाना छूट ही गया था 

और मैं अकेला था 

अपने सूनापन में 

जो आसरा ढूँढ रहा था 

किसी का 

ऐसे में तुम आए 

मेरे जीवन में 

मेरी उम्मीद बनकर 

जहाँ में 

सुरक्षित महसूस करता हूँ 

तुझे पाके 

जहाँ मेरी सारी आशाएं को 

विश्राम मिलता है 

जितना मागूं 

उतना प्यार मिलता है 

ऐसा लगता है कि 

मेरे जीवन की 

तलाश खत्म हुई 

जब से तुम आएं हो 

मेरे जीवन में   !!!

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