मैं इसलिए नहीं लिखता हूॅं

write-on-purpose-on-poem-hindi.

 मैं इसलिए नहीं लिखता हूॅं कि

कोई मुझे पढ़ें

बल्कि मैं इसलिए लिखता हूॅं

मेरे विचार बढ़ें

मर न जाए कहीं मेरे भीतर ही भीतर

मेरे विचार

रूक रूक कर

धीरे-धीरे

इसलिए मैं खुद से कहता हूॅं

इसलिए मैं लिखता हूॅं

मेरे भीतर की लगी आग बुझता नहीं

दुनिया में मुझे कोई रूचता नहीं

सब कहना चाहते हैं दिल की बात

मगर यहॉं कोई सुनता नहीं किसी की बात

जिसे देख मेरा दिल टूटता है

ऐसी दुनिया से मेरा दिल रूठता है

छोड़ के दुनिया अकेले में खुश रहता हूॅं

इसलिए मैं लिखता हूॅं

जो मेरा अहसास है

वहीं मेरे जीवन का खास है

कभी कोई आया, कभी गया छोड़ के

जीवन है छोटा मगर सुख-दुख को पीता हूॅं

जिसे हृदय में समेटे हुए रहता हूॅं

इसलिए मैं लिखता हूॅं

कुछ क्रिया की प्रतिक्रिया है

हर दर्द ले के जीया है

कभी दर्द अपनों से पाकर

जगह-जगह ठोकरें खाकर

हरदम दुनिया से लड़ता हूॅं

इसलिए मैं लिखता हूॅ॑ !!!


मैं इसलिए नहीं लिखता हूं

ताकि तुम पढ़ो और सीखों

मेरे विचार में दिखो

मैं इसलिए लिखता हूं

मैं अकेला हूॅं !!!!

इन्हें भी पढ़ें 👉 मेरे लिए तुम्हारे शब्द 

write-on-purpose-on-poem-hindi.




Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ