कुछ ऐसे लोग भी होते हैं ।article on social system जो सवाल तो करते हैं लेकिन जवाब देना नहीं जानते हैं ।उसकी बातों में कोई अपनापन नहीं होता है ।व्यंग्य केवल थकाने के लिए । सुधार के लिए नहीं ।तर्क तो करते हैं मगर स्थिरता नहीं दे पाते हैं । स्वयं ठहरते नहीं किसी बिंदु पर । भटकना और भटकाना ,, जिसका मक़सद होता है ।
article on social system
खुद तो असंतुष्ट होते हैं, दूसरों को भी साथ में करते हैं । कर्कश बोली से सियासत की बोली जानते हैं ।ताकि लोगों को तोड़ा जा सके ।उसके मनोबल से लेकर उसकी एकता को । ।नफरत है जिसके दिलों में मगर प्यार की बातें करते हैं । ऐसे लोग अक्सर गुप्त ऐजेंडे चलाते हैं । जो कभी अपनी गलतियों को गौर नहीं करते हैं । महत्व नहीं देते हैं । मानो दुध का धुला हो । इसलिए अपनी ओर किसी ध्यान न आ जाए इसके लिए दूसरों पर सियासत करते हैं । ध्यान भटकाते हैं । जिससे सामान्य आदमी खुद के भीतर ही उलझ जाते हैं । उसकी गलतियों पर ध्यान नही दे पाते हैं और ख़ुद में ही हीनता के भाव भर लेते हैं । तब ऐजेंडाधारी सफल हो जाते हैं । अपने मक़सद में ।
यदि भूले भटके एकाध आदमी इनका विरोध करते हैं । तब ब्रेनवाश हो चुके उसके समर्थक टूट पड़ते हैं । गवारो के जैसे । ऐजेंडा धारी मुस्कराते हैं । ऐसे बेवकुफों पर ।
ऐसे ऐजेंडा धारी खुद को बुद्धिजीवी मानते हैं मगर दोगले हैं ।जिसने कभी अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं किया है । दूसरों की लकीर काट कर खुद को बड़ा कर लिया है । ऐसे दोगलों से सावधान रहने की जरूरत है ।
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