poetry spiritual
क्षमा कर दीजिए
मेरी भूल को
क्षमा कर दीजिए
मेरे शूल को
न मेरा मन व्यथित हो
न तू मुझपर कोपित हो
हो जाती है गलतियां
आपका प्रेम मुझपे सिंचित हो
मुरझाए फूल को पुष्पित कर दीजिए
क्षमा कर दीजिए
poetry spiritual
हॉं नादान था मैं
खुद से अनजान था मैं
अपनी ही धुन में रहा सदा
अपनी चाहत में खो गया था मैं
मेरी भूल सुधार दीजिए
क्षमा कर दीजिए
नहीं कुछ मुझमें सुन्दर
दुर्गुण है मेरे अन्दर
तुझमें, मुझमें लाख है अंतर
फिर भी स्वीकार कर लीजिए
क्षमा कर दीजिए!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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