कितना प्यारा मौसम है

 कितना प्यारा मौसम है

बस तू नहीं यही ग़म है

खिले हैं कई फूल यहॉं

मगर तेरे बिना ये कम है

ढूंढता हूॅं तुझे इन्हीं नजारों में

तेरी यादों में मेरी ऑंखें नम है


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