ghazal on love
भूल हो जाती है सबसे
जिसे बताया नहीं कब से
तुने सीने में दबाएं रखा
और नफ़रत में बदल गई तब से
शंका क्या हुआ उसके दिल में
उसकी ऑंखों में प्यार नहीं है तब से
लाख समझाऊं उसे दिल की बात
अनसुनी हो गई गुफ्तगू तब से !!!!
ghazal on love
प्रेम भीड़भाड़ में नहीं मिलता
प्रेम किसी चतुराई की युक्ति नहीं है
प्रेम, प्रेम है
यह बंधन है कोई मुक्ति नहीं है
निभाओ साथ सात जन्मों तक
यदि ऐसी बातों पे विश्वास नहीं तो
समझौते की फिर युक्ति है !!!!
उसने कबीर के शब्दों को चुराया
आलोचना दृष्टि पाने के बहाने से
निंदा की गई
कबीर जैसे
लेकिन कबीर बन न पाया
अपनी नफरती शब्दों से
घृणित विचारों को थोपा
नफरती सियासी पंथों द्वारा
धूर्तता पूर्वक
जिसका असर हुआ
कबीर धूर्त हुआ
धूर्तता के हाथों में आकर
गौतम बुद्ध की करूणा को चुराया
और बुद्ध आलोचक हो गए
नफरती लोगों द्वारा
प्रस्तुत करने से
बुद्ध अशुद्ध हुए
सियासी पंथों द्वारा !!!!
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