Ghazal Amir Khan aur Kiran Rao
क्या समझदारी है रिश्तों में
क्या वफादारी है रिश्तों में
जब मन भर गया जिस्म की
दोनों अलग होने की तैयारी है रिश्तों में
बड़े महान थे, सत्यमेव जयते चलाते थे
मगर दिल से गद्दारी है रिश्तों में
जिसे डर लगता था मेरे देश में
उसे मतलब की लाचारी है रिश्तों में
माना ये तेरा व्यक्तिगत मसला है
मगर ये कैसी तेरी जिम्मेदारी है रिश्तों में
अमीर खान और किरण राव
अक्लमंदों की तरह ज्ञान बांट रहे थे
मगर देख लो इसकी कैसी दुनियादारी है रिश्तों में
सारी अच्छी बातें इसकी जमाने के लिए
जिसकी खुद की नजरें व्यापारी है रिश्तों में
प्यार- मोहब्बत की सीख देने वालों को देखों
शर्म -हया भी जिससे यहॉं हारी है रिश्तों में
-राजकपूर राजपूत
2 टिप्पणियाँ
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
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