लोग स्वार्थी है

poem-Svarth-me-jine-vale-log 

लोग स्वार्थी है , जो अपने स्वार्थ में इतने डूबे हुए हैं कि भूल जाते हैं । अपने जीने का तरीका । कब सांस ले रहें हैं । कब छोड़ रहे हैं । बस स्वार्थ पर ध्यान है । स्वार्थ की पूर्ति में इतने गिरे हुए हैं कि कभी खड़े होने की कोशिश ही नहीं करते हैं । 



poem.

Svarth-me-jine-vale-log 


स्वार्थी है 

जिसके बिना नहीं रह सकते हैं 

उसे आज जाने हैं

जी रहे थे ऐसे ही  भाग दौड़ में 

साँसों की गति आज जाने हैं 

क्या खाना क्या पीना सब भूल गए थे 

जो भी मिले सब खा गए थे 

परवाह न थी कभी किसी बात की

मगर डर है करोना का, आघात की

आज पथ्य /अपथ्य सब  जाने हैंं

लोग आज-कल स्वार्थी है

सबकी अपनी -अपनी मर्जी है

न जाने कब तक माने हैं

क्या केवल मुसीबत में ही जाने हैं

इसकी गारंटी कौन जाने हैं !!!










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