कहने के लिए बहुत कुछ जान गए say-to-poem-in-hindi

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कहने के लिए बहुत कुछ जान गए
तेरी चालाकियों को भी मान गए

तुम्हारे लिए मेरी कीमत कम है
तेरी मतलबपरस्ती सब जान गए

गैरों के साथ मेरी हंसी में शामिल हो
तेरे दिल के इरादे सभी हम जान गए

जब तक जरूरत थी तो साथ रहे
मतलबी है दुनिया ये हम मान गए

ये माना अभी वक्त है बुरा ज़रूर मेरा
मगर तेरे बहाने से तुझे पहचान गए !!!!

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सियासत दुनिया की 
या अपने भीतर की 
पहचानते हो या जान गए हो 
गुणा भाग सियासत की 
बहुत कठिन हो जाएगा तुम्हें 
पहचान पाना 
तुम्हारे इरादे जान पाना 
तुम्हें रचना आ जाएगी 
कई किरदार की 
हालांकि लोग उसे गिरगिट कह देते हैं 
जब बात आएगी एक ही 
तुम रंग बदलोगे 
गिरगिट जैसे 
अपने लाभ-हानि में 
आगे -पीछे टालमटोल करते हुए 
किसी सियासतदानों जैसे 
मतलब नहीं छोड़ा जाएगा 
तुमसे 
पकड़े जाओगे 
गिरगिट को चाहे 
कितने भी पीछे छोड़ो 
रंग बदलने में !!!!!

 बार देखा है 
बादल उमड़कर 
गरजकर 
घिरकर 
बरसते नहीं 
चाहे जमीन तपे 
जिसकी गर्मी 
जिसकी नमी 
विवश नहीं कर पाते 
बादल को बरसने के लिए 
और अपरिचित सा 
बादल बिखर जाते हैं 
कितने पास आकर !!!

कहने के लिए तो जान गए 
ज्ञान की बातें 
लेकिन अमल नहीं कर पाए 
जिसे 
उसे फारवर्ड कर दिए 
सोशल मीडिया पर 
यह जानते हुए 
मुश्किल है 
कुछ ज्ञान की बातें 
उसका पालन 
इसलिए दूसरों को दे दिए 
अपना ज्ञान !!!!

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-राजकपूर राजपूत''राज''
कहने के लिए बहुत कुछ जान गए




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