Ghazal on dua
दुआ करो तुम अब इतना
इश्क मिल जाए जितना
जमाने बदल गए बदलने दें
इंसानियत जिंदा रह जाए जितना
वक्त का क्या भरोसा करें
आज जिंदा रह जाए जितना
तुम आए यही बहुत है मेरे लिए
बस सुकून मिल जाए जितना
प्यार की कोई उम्र नहीं होती
काफी उतना मिल जाए जितना
दरवाजा अभी भी खुला है
हर कोई आ जाए जितना
मैं जानता हूं आखिर मरना है
जी लूं आज वो करीब आ जाए जितना
मैं मांगा नहीं था कभी किसी से
मैं चाहता हूं प्यार मिल जाए जितना
तुम हंसकर दिन बीता सकते हैं
वो बाहों में आ जाए जितना !!!
Ghazal on dua
पास थी तुम
लेकिन मुझे ऐसा लगा
जैसे मैं कोई यात्रा पर हूं
तुझे पाने का प्रयास
निरंतर जारी है
तुम्हें कहता हूं दिल की बात
लेकिन तुम अभी नहीं समझें हो
और तुम्हारे समझने तक
एक दूरी रहेगी
तुम्हारे पास आने तक
मेरी यात्रा
ऐसी ही जारी रहेंगी ! !!!
बहती नदी
अपने जलस्तर की पहचान से
जान जाती है
यात्रा पूरी होगी कि अधूरी !!!!
क्या हम एक हो सकते हैं
जैसे मिल जाती है
नदी
सागर में
अपने अस्तित्व के साथ
ठीक वैसे ही मिल जाएंगे
हम तुम
यदि तुम बहो
मेरी ओर
नदी जैसी !!!
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