debate and travel poetry
विवादों से तेरा नाता है
और क्या तुझे आता है
सवाल उठा के चले गए
जवाब देना नहीं आता है
बनावटी है तेरी सहानुभूति
फायदा उठाना तुझे आता है
कुछ चालाकियां दिखा कर
खुद को बड़ा दिखाना तुझे आता है
सियासत सीखी है बहसों में
यही जीवन दर्शन तुझे आता है
जीने की राह यही है
टूटे ख्वाब अरमान जगाना आता है
अभी मंजिल दूर है यारों
चलना है जिसे चलना आता है !!!
debate and travel poetry
सबके अनुकूल हो जाना है
गिरगिट हो जाना है
हर किसी को कहां आता है
मतलब निकाल कर चले जाना है
बातों से माहिर
मतलब के खातिर
तुने सियासत सीखी
शब्दों के अर्थ दोहरे
बतियाना किसने जाना है
गिरगिट हो जाना है
तुम्हारे सवालों से
तुम्हारे जवाबों से
लोग थक जाते हैं
लेकिन तुम्हें भाते हैं
अपनी खुशी में
तुम्हें कुछ भी कर जाना है
गिरगिट हो जाना है !!!
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