ताज्जुब - आजकल के रिश्तों से होता है ।tajjub-hota-hai Kavita Hindi जो दिखावटीपन पर टिका हुआ है । फिर भी रिश्ते बनाने में सफल हो जाते हैं । उन लोगों से बेहतर जो दिल से रिश्तों के प्रति समर्पित है । वहीं लोग आज पीछे है । जबकि दिखावटीपन का प्रदर्शन करने वाले लोग अपने आप को सही साबित करने में सफल हो जाते हैं ।
कविता हिन्दी में 👇👇👇
tajjub-hota-hai Kavita Hindi
नज़र हैरान हो जाती है
तेरी चालाकी पर
गलती करके
मुस्कुराने पर
ताज्जुब होता है
दिल को
चोरी करके
खुद को शरीफ
बताने पर !!
ताज्जुब होता है
उल्टा चोर
कोतवाल को डांटता है
भलमनसाहत की बातों पर
रिश्तों को बांटता है
सियासत की बातों पर
बुद्धिजीवी बनता है !!
प्रेम नहीं है
ताज्जुब होता है
प्रेम नहीं
फिर भी
प्रेम का दावा
करता है
ऐसे
जैसे
उससे बड़ी प्रेमी नहीं
इस दुनिया में !!!
ताज्जुब होता है
उसकी बातों पर
जो कहते हैं
प्यार है
लेकिन प्यार का सम्मान, मान
करना नहीं जानते हैं !!!
ताज्जुब होता है
इतने दिनों तक साथ रहे
लेकिन अलगाव रहे
न दूरियां मिटी
और तनाव में रहे
वो जिन विचारों से स्थापित था
बस बेकार रहे
उसका रिश्ता एक सौदा है
साथ रहे मगर
व्यापार रहे !!!
ताज्जुब होता है
तुम एक दलित चिंतक हो
जिसने केवल
दलितों पर कविताएं लिखीं
ढेरों
उनके दर्द, पीड़ा, कष्ट, शोषण
ठीक समझें
लेकिन तुम्हें दिखाई नहीं दिए
अन्य की पीड़ा, कष्ट, शोषण
कितने संकुचित मानसिकता है तुम्हारी!!!
ताज्जुब होता है
लोगों पर
ज्ञान प्रचारित करता है
सोशल मीडिया पर
ग्रहण खुद नहीं करते
लेकिन दुनिया को दिखाते हैं
इस तरह खुद को ज्ञानी दिखाते हैं ।
इन्हें भी पढ़ें 👉 अपनों से दूर अपनों के बीच
![]() |
tajjub-hota-hai Kavita Hindi |
0 टिप्पणियाँ