जिसे शिद्दत से चाहा था The one who Passionately Loved Poetry

The one who Passionately Loved Poetry 

जो भी था जैसा भी था
लेकिन मेरा अपना था

किसी को कहने की ज़रूरत नहीं
वो ऐसा था वो वैसा था

मेरे इश्क की तौहीन होगी
जिसे शिद्दत से चाहा था

दिल में बसा के रखता हूॅं
मुझसे कहां वो दूर था

माना कि साथ नहीं है वो
लेकिन कभी वो मेरा प्यार था  !!!!

The one who Passionately Loved Poetry 


जरूरी और जरूरत में
अंतर इतना
साथ में रहें
और बात न हो जितना !!!

साथ में चलें
साथ में रहें
लेकिन जरूरत था मैं
जरूरी नहीं
फ़ोन पे व्यस्त रहे
और मुझसे बात नहीं !!!!

निरंतर प्रेम का एक ही स्वरूप
प्रेम की सीमा बन जाना है
जबकि प्रेम
एक गति है
एक लय
जिसमें बढ़ते जाना है
ठहरा पानी
गंदला जाने के लिए है !!!!

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