tea and water poetry hindi
-चाय-पानी
व्यवहार में शामिल है
कई अनैतिक कार्य
जिसे हम स्वीकार्य कर चुके हैं
अपने दैनिक जीवन में
अपना चुके हैं
हृदय से
चाय-पानी के खर्चे से लेकर
नाश्ते के खर्चे देकर
हालांकि एक मोटी रकम
दी जाती है,,
व्यवहार में
मगर चाय-पानी के नाम पर
छोटी रकम मानी जाती है,
व्यवहार में
ऐसा करके
अपना काम निकालना
सरल हो जाते हैं
इसलिए अपनाते हैं
एक व्यवहार के रूप में
जिसे खुले मन से
सभ्य समाज
स्वीकार्य नहीं कर सकते
नैतिक कार्य के रूप में
लेकिन चोर मन से
स्वीकार्य करते हैं
नैतिक रूप में
जिसकी तारीफ तो नहीं होती है
मगर अपनी क्षमताओं का
उद्घोषणा जरूर करते हैं
साहब से लेकर बाबू तक
पंच से लेकर नेता तक
अपनी पहचान की
और इसी क्षमताओं से
समाज को डराते हैं
गरीब आदमी को
जो कभी चाय-पानी
खुद के पैसों से
पीने की क्षमता नहीं रखते हैं
उनके लिए चाय-पानी
मीठी नहीं,, ज़हर है !!!!!
---राजकपूर राजपूत
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