Mist Poem Hindi
धुंध..
जो तेरी तस्वीर में पड़ी है
मेरी तड़प और बढ़ी है
ख्यालों में हटाने का प्रयास है
तुझे और संवारने का कयास है
दिखाई नहीं देती है तस्वीर तेरी
क्या बताऊं अजीब हालत है मेरी
बता नहीं सकता तू कितना खास है
इसलिए तुझे ही पाने की आस है !!!
Mist Poem Hindi
मगर मिलते नहीं है आराम पाने तक
बेकरारी रहती है सीने में उसके आने तक
मेरी कोशिश व्यर्थ जाएगी शायद
जैसे पतंगें की ख्वाहिश है जल जाने तक
मचलते रहे जलते रहे उसके नाम से
जैसे उछलते नदी की तमन्ना सागर से मिल जाने तक
वो क्या ख्वाब दिखाएगा झूठे
मतलबी दुनिया है बहलाने तक
हमें भी चाहत नहीं है इस ज़माने की
वो जानते हैं मतलब के पाने तक !!!
दो व्यक्ति आपस में चलते हुए
आपस में बतियाते हुए
हंसते हुए, गाते हुए
लेकिन कुछ दुरी थी
जैसे जीना मजबूरी थी
एक दूसरे को डरते हुए
माइंड सेट मतलब के
सम्हलते हुए !!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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