व्यवहार और विचार - लेख Vyavhar-aur-vichar

Vyavhar-aur-vichar- व्यवहार बन गया है,,, राजनीति । व्यक्तिगत जीवन में चालाकियां  । स्वयं के लाभ की प्राप्ति,,, चोरी चोरी । आज बुद्धिमानी की प्रतीक बन गई है । जहाँ भी सफलता दिखाई देेती है । कुछ ना कुछ चालाकियां जरूर होती  हैं । बेवजह विवादित बोलना -लिखना । विवादित बोल में प्रसिद्धि की प्राप्ति,, सभी जानते हैं । सच्चाई हाशिए पर है । आदमी के जीवन में ये सब इस तरह घूसे हैं कि सफलता का मापदंड बन गए हैं । आज के जमाने में । जहां भी नज़र गड़ाते हैं,,, फ़़ायदे  की सोच की उम्मीद करते हैं । 
हर वो मुद्दे में शामिल हो सकते हैं, । जिसमें सहुलियत होगी, खुद की हित होगी । बाकी बेकार है,, एक स्वार्थी की नज़र में । 

Vyavhar-aur-vichar- 

बहुत कम ही लोग होंगे जो किसी को मुंह पर बोलेंगे । वरना पीठ पीछे आलोचना तो सभी करते हैं । ऐसा इसलिए करते हैं लोग-ना जाने कब कोई आदमी उसके काम आ जाए ।या फिर उसकी भी हकीकत सबके सामने ना आ जाए । सामने वाले भी तो कुछ ना कुछ बोल सकते हैं,, डर है उसे भी । 
अब पहले जैसे नहीं हैं लोग। स्वयं की गलतियों को स्वीकार करने की क्षमता अब दिखाई नहीं देती है । खुद को बहुत बड़े हस्ती मानते हैं । पीठ पीछे बातें करने वाले लोगों को यह जानते हुए भी कुछ नहीं बोल सकते हैं कि दुनिया उसकी भी बुराई करते हैं,, ठीक,पीठ पीछे । जैसे वो । कोई महान नहीं है । इस तरह की बातें करने का हक़ उसे भी नहीं है । जो दूसरों को कहते हैं । 
नैतिकता उनकी यही पर दिखाई देगी जब वह सबके सामने दोषारोपण सिद्ध हो जाते ।हार जाते हैं,, तब कहीं जा के नरमी आएगी लेकिन इसकी भी कोई गारंटी नहीं कि वह अपनी गलतियों को हृदय से स्वीकार करें । बदलें की भावना दिल में रख सकते हैं । जो कभी वक्त आने पर दिखाई देगी । वर्ना सबके सामने तो महान ही है ।

Vyavhar-aur-vichar- हां, इन लोगों को मौकापरस्त कहें तो ज्यादा उचित होगा । व्यवहार का ताना-बाना इस तरह उलझा है कि किसी पर भरोसा नहीं कर सकते हैं । कब कोई आदमी अपने आदर्शों को स्वार्थ सिद्धि के लिए तिलांजली दे दें । कह नहीं सकते हैं । ये लोग व्यवहार सबके साथ रखेंगे लेकिन केवल अनौपचारिकता के साथ । अगर राजनीति का मौका मिलें  और चुपके से स्वार्थ की सिद्धि हो जाए तो रिश्तों को चंद पैसों में तोड़ दें ।

लेकिन मुफ्त का सलाह,, व्यर्थ की बातें,, जरुर करेंगे । खुद को सच्चाई के पक्षधर के रूप में प्रस्तुत करना,, कितना अच्छा,, खुद को मानते हैं,,उसकी बातों से खुद को अलग करके देख सकते हैं । उसकी बातों में खोए रहोगे तो ऐसा कर नहीं सकते हो । अगर जानना चाहते हो तो वर्तमान स्थिति को देखते हुए उसकी बातों और कार्यों का मिलान करना होगा इसके बाद आपको आसानी से समझ आ जाएगी । ढोल में पोल की गहराई । 
हां कुछ लोग आज भी सच्चाई का जीवन जीते है ।लेकिन प्रभावशीलता ,, नगण्य है ,,समाज पर । उनके आदर्श वर्तमान समाज के लिए कठिन है । अस्वीकार्य है । जिसे एक कुशल राजनीतिज्ञ समय समय पर तोड़ते रहते हैं । आज के जमाने में  !

दोषारोपण करने से लकीरें कटती हैं । जो सियासी पंथ है । वो इसका बेहतर उपयोग करते हैं । संख्या बढ़ाने के लिए । अच्छी सोच, विचार केवल आत्मकेंद्रित लोगों के लिए है । यदि अपनी संख्या बढ़ानी है तो दोषारोपण करना जरूरी है । इससे बेहतर लोग भी हताशा, हीनता में भर जाते हैं ।!!!!!!

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---राजकपूर राजपूत''राज''
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