संवेदनाएं

संवेदना 



खुद के प्रति संवेदनाएं रखना बुरी नहीं है

दूसरों के प्रति संवेदनाएं सूख जाना बुरी है

आदमी है तो आदमी की तरह जीओ

जानवरों की तरह बर्ताव बुरी है 

प्रेम की परिभाषा बताना अलग बात है

उसे बातों तक सीमित रखना बुरी है 

आदमी समझ के अनजान बन जाता है

इत तरह चालाक होना बात बुरी है 

-राजकपूर राजपूत 
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