एहतियात तो सभी बरतते हैं


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एहतियात तो सभी बरतते हैं
जो सच है उसे कहॉं कहते हैं

हम उसकी गलियों में क्यों जाएं
जो हमसे मिलने को कतराते हैं 

इसी उम्मीद के इंतजार में है
मौका मिलें तो अकेला छोड़ते हैं

चापलूसी करना भी एक कला है
जहॉं लालच है वहॉं दूम हिलाते हैं

जो सीखा है समझदारी है उसकी
अच्छे-अच्छे पैसों में बिकते हैं

उसे मोहब्बत का इजहार होने का डर है
नज़रें मिलाने से कतराते हैं 

ये मुलाकात भी क्या चीज है
प्यार न हो जाए इसलिए घबराते हैं 

ये मोहब्बत भी सस्ती चीज है "राज़"
आज तुमसे कल उससे दिल लगाते हैं

---राजकपूर राजपूत
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