न्याय की प्रक्रिया Justice Process Poetry

Justice Process Poetry न्याय - निष्पक्षता का प्रमाण होता है । यदि निष्पक्ष नहीं हो सकता है तो निश्चित है कि किसी विचार को थोपना चाहते हैं । जिसे मानने के लिए बाध्य कर सकते हैं या संदेश देते हैं । 
ढकोसला तब होता है । जब हम किसी चीजों को मानने के लिए सबको प्रेरित करें लेकिन खुद की अंतर्रात्मा से माने नहीं । प्रेरित करके हम महान लोगों में शामिल हो जाते हैं । मगर अंततः होते नहीं । 
निष्पक्षता की बातें न्याय व्यवस्था में अनिवार्य होती है । लेकिन कुछ न्याय व्यवस्था में बैठकर भी अपनी बिरादरी, अपने खास एजेंडे को ध्यान में रखकर न्याय की परिभाषा दी जाती है । शब्दों के जाल से भ्रमित करें । और स्वयं संतुष्ट हो । ऐसे में न्याय की उम्मीद व्यर्थ है । न्यायिक व्यवस्था ढकोसला है । 
पीड़ित न्याय की उम्मीद में न्यायालय जाता है । जो फैसले दें चुके हैं । उसका भी ध्यान में रखकर आशा करते हैं । 
पीड़ित अगर यह महसूस कर लें कि अमुक न्यायिक व्यक्ति एक ही फैसले को व्यक्ति देखकर देगा । जो हो भी जाता है । तो न्याय को ढकोसला कह सकते हैं ।  । 

Justice Process Poetry


जब भी आप
न्याय की मांग करने जाओगे
और जब भी लोग सुनेंगे
तो याद रखना
ये सभ्य समाज
तीन भागों में बंट जाएंगे
गलत वही कहेंगे
जिसके दिल में
नफ़रत होगी
समर्थन वहीं करेंगे
जिसके दिल में
मोहब्बत होगी
कुछ लोग
तटस्थ भी होंगे
जो दूर से
तमाशा देखेंगे
ये सभ्य समाज के
उदाहरण प्रस्तुत करेंगे
कैसे अपने स्वार्थ में ही
सक्रिय होना है
बाकी समय
निष्क्रिय होना है
उपरोक्त सभी बातें पढ़कर
आपको लग सकता है
संवैधानिक व्यवस्था है
न्याय के गुजरने की अवस्था है
जिसपर सिद्ध होते हैं
न्याय.....!!
इससे पहले
तब तक
न्याय की धज्जियां उड़ाई जाती है !!!

डर से फैसला होता नहीं 
कोई बच्चा सोता नहीं 
जब सुरक्षित न हो 
जहां होता नहीं !!!!

-राजकपूर राजपूत राज 

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