ख्वाब Poem for Living the Dream

Poem for Living the Dream 
ख्वाब नहीं देखा कब से
जिंदगी मिली नहीं तू जब से !!!

मैं अभी जिंदा हूं 
तुझे पाने की उम्मीद में 

मुझे सच बोलने की आदत नहीं है 
लोग झूठ बोलने की आदि हैं !!!

Poem for Living the Dream 


लोग शिक्षित होने
और शिक्षा पर जोर देते हैं 
मगर हर ज्ञान फारवर्ड कर देते हैं 
जिससे लगता है 
उसे ज्ञान की जरूरत नहीं है 
दूसरों को है 
मतलब अहंकारी !!!!

मजबूरी का नाम लेकर 
जीना छोड़ दिया 
कुछ ख्वाब अधूरे क्या हुए 
जीना छोड़ दिया 
यही फैसला तुम्हें ठीक लगता होगा 
निराशा लेकर विश्वास खो दिया !!!!

ख्वाब ही था तुम्हारा साथ 
यूं हकीकत सुंदर नहीं होती !!!
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