meri-kavita-mera-dard-hai-जो कभी उन बातों को कह नहीं पाता है। अंदर ही रह जाता है । मगर एक कवि जो बातें किसी के सामने कह नहीं पाता है । उसे अपने शब्दों में उतार कर जमाने के सामने कहता है । जो उसकी अभिव्यक्ति है । दिल की बातें हैं । जिसे समझने वाले नहीं मिलते हैं । कविता हिन्दी में 👇👇
meri-kavita-mera-dard-hai
तुम जब भी पढ़ पाओगे
अपना अश्क तुम पाओगे
हर लफ़्ज़ों में मेरा दर्द है
इश्क है तो समझ पाओगे
वर्ना पत्ते पलटकर ही तुम
मुस्कुरा कर चले जाओगे !!
mera-dard-hai
मेरी कविताएं मेरा दर्द
जिसे कह नहीं पाया कभी
जमाने के सामने
अपनी कशक, अपनी पीड़ा
वो कह पाता हूं
शब्दों में
कागज में
जिसे तुम पढ़ लेना
जब भी मुझे समझना चाहो
मुझे समझना चाहो !!!
मैं जितना अकेला खुद को पाया
उतना तुझे अपने पास पाया
न कोई टोकने वाला न कोई रोकने वाला
जब जी चाहा फिर कोई गीत गाया
अकेलेपन का सुकून न पूछ मुझसे
दर्द उठा फिर भी तुझे पास पाया !!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
1 टिप्पणियाँ
Bahut hi sundar rachana
जवाब देंहटाएं