आज का दिन भी

आज का दिन भी
तेरे बिना गुजरा
वहीं थकावट वहीं उदासी में
मुश्किल से गुजरा
तेरी यादों के पन्ने 
पलटते पलटते
तेरे साथ बीते
हर लम्हों को
समेटते समेटते
मेरे दर्द के सिवा
भाए ना कोई दूसरा
आज का दिन भी
तेरे बिना गुजरा
मेरी चाहत कशक रही थी
तबीयत फड़क रही थी
मेरी ॲखियाॅ॑ तरस रही थी
तेरे सिवा मुझे 
आराम नहीं कोई दूसरा
आज का दिन भी
तेरे बिना गुजरा
इसी उम्मीद में
मेरे भी दिन आएंगे
कभी कोई दूसरा...!!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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