ख्वाबों की दुनिया
मैं जागा तो जरूर था दोस्तों लेकिन नींद में था
मेरी सुबह ने आवाज लगाई लेकिन ख्वाबों में था
ये भीड़ मुझे पसंद नहीं दोस्तों हमेशा तन्हा था
बेशक ख्वाब,ख्वाब है लेकिन मेरा अपना था
मेरी उनींदी अभी टूटी नहीं है दोस्तों
मेरे मन मस्तिष्क में उसका ख्याल था
मेरे ख्यालों में उसकी ही धून है दोस्तों
पुछता हुं खुद से कब उसके मैं प्यार में था
---राजकपूर राजपूत''
1 टिप्पणियाँ
बहुत खूब
जवाब देंहटाएं