This kind of presentation of love poem भावनात्मक पिशाच है तो दूर ही रहना चाहिए । जो भावनात्मक शोषण करते हैं ।
हर सोच की अपनी भावना होती है । जिसमें बहुत अधिक ऊर्जा होती है । जिसके कारण आदमी अपने कार्यों को कर पाते हैं । निरंतरता के साथ । खुशी-खुशी ।
जो भावनात्मक पिशाच है । दिग्भ्रमित कर सकते हैं । सोच बदलकर भावनाएं तोड़ सकती है । खासकर अपने जैसे आकार देने की कोशिश करते हैं और निराशा, हताशा, थकावट भर सकते हैं ।
This kind of presentation of love poem
प्रेम की इस तरह प्रस्तुति हो रही है
लग रहा है वासनाओं को स्तुती हो रही है
अर्धनग्न कपड़ों में लिपटी वासनाएं
प्रेम की परिभाषाएं कह रही है
प्रेम की इस तरह प्रस्तुति हो रही है
आपकी सोई भावनाएं जगा कर
उभर अंगों को खुल कर दिखाकर
पैसों की बरसात हो रही है
प्रेम की इस तरह प्रस्तुति हो रही है
बन जाते हैं आदर्श सभी के
बन जाते हैं ख्वाब सभी के
जिसे पाने के लिए हृदय तड़प रही है
प्रेम की इस तरह प्रस्तुति हो रही है
कौन बताएगा दबी वासनाओं को
कामुक दर्शक की दबी चाहतों को
अंदर ही अंदर वासनाएं भड़क रही है
जिसे प्रेम की प्रस्तुति कह रही है
---राजकपूर राजपूत''राज''
2 टिप्पणियाँ
Bahut hi sundar
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