ऐसे आना जैसे

 ऐसे आना जैसे

बारिश की बूंदें

तपती धरती की

प्यास बुझाती है

कुछ बूंदों के पड़ते ही

जैसी खुशबू उड़ती है

और प्यास के

मिट जाने पर

जैसे हरियाली बिछ जाती है

चहुंओर..

धरती के बदन पर

ऐसे आना तुम !!!


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