why do clouds rain poem hindi
बादल छाए और बरसे भी
प्यासी धरती और तरसे भी
प्यास अभी उमड़ी हुई थी
बादल बरसे और गरजे भी
हाॅ गिरे पानी के कुछ बूॅद
प्यासी रही धरती लेकिन
बादल कहाॅ॑ चल दिए तुम !!
सावन में जो बरसा नहीं
मन अभी तरसा नहीं
फिर बादल बरस गए
जेठ की दोपहरी में
बरस गए
कौन बिगाड़ गया है नियम यहां
जब जरूरत तब तरस गए
बेवजह क्यों बरस गए
पड़ा बीज अंकुरित हो गया
कोमल पत्ते निकल गए
दिन बीत चुके बिन पानी
छोटे पौधे अब सूख गए !!!
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